कोहरा यहाँ सड़क पे टहल रहा है
मेरे आस पास घूम कर पूछ रहा है
वो कहाँ है ?
मैं एक पुल पर बैठा हूँ
एक टॉमी मेरे पास आता है
मेरी टांगो से अपना सर सहलाता
मुझसे एक फुट की दूरी पर, रस्ते को तांकता बैठ जाता है
फिर कातर निगाहों से मेरी ओर देख कर पूछता है
वो कहाँ है ?
मैं उसकी आँखों और कोहरे की छुवन से बचने के लिए
अपना सर नमा लेता हूँ
मिट्टी में नज़रें गढ़ा देता हूँ
कुछ देर में मिट्टी मिट्टी नहीं रहती
शुन्य हो जाती है
बिना किसी सापेक्ष* के
खुद में खो जाती है
दिमाग में घूमता सवाल उस पर चस्पा दिखता है-
-वो कहाँ है ?
* relative, something to compare with
-चित्र के पते के लिए यहाँ चटकाएं
3 टिप्पणियां:
Awesome Sirji!!!
It made me speechless when I imagined the same...
sahiiiiiiiii hai yaaaar :):)..waise wo hai kaha :)
woh tumhare pass hain...:) awesome..as usual good imagination.
- Anuradha
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