लगता है सीधा पता टेढ़ा हो गया...
चिठ्ठी बिना खुले वापस आ जाती है...
तुम जानते हो उसे,
घर तक क्या मेरा संदेस ले जाओगे
चिठ्ठी बिना खुले वापस आ जाती है...
तुम जानते हो उसे,
घर तक क्या मेरा संदेस ले जाओगे
चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?
...हाँ-हाँ फ़ोन मैंने लगाया था
नंबर को रीच के बाहर पाया था
झल्ला के पेन-पेपर उठाया था,
मौक़ा मिला तो क्या,
ढून्ढ उसे पाओगे?
चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?
नहीं कुछ ख़ास नहीं-
मेरी चोरी के राज़ है इसमें,
दिल क्यों तोडा उसका,
ये बात है इसमें,
आंसू गर भर आये आँखों में उसकी,
बैठा के उसे पढ़ सुनाओगे ?
चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?
एक छोटा सा काम और है - कर आओगे ?
मेरे पास कोई नहीं तस्वीर उसकी,
धुंधली सी है अब बस लकीर उसकी
ड्राइंग रूम में एक एल्बम टेबल पे पड़ा होगा,
तस्वीर एक निकाल लाओगे ?
ये चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?
सच लिखा है डर लगता है,
बोझिल हर एक पहर लगता है,
मिलना मुश्किल है,
लेकिन जवाब लिखा अगर,
तो क्या जल्दी वापस आ जाओगे ?
ये चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?
3 टिप्पणियां:
Bhai address de de... i will try my best....
:) bhiya atul, address lene tumko dilli aana padega !!
एक टिप्पणी भेजें