5 फ़रवरी 2010

चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?





लगता है सीधा पता टेढ़ा हो गया...
चिठ्ठी बिना खुले वापस आ जाती है...
तुम जानते हो उसे,
घर तक क्या मेरा संदेस ले जाओगे 
चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?

...हाँ-हाँ फ़ोन मैंने लगाया था
नंबर को रीच के बाहर पाया था
झल्ला के पेन-पेपर उठाया था,
मौक़ा मिला तो क्या,
ढून्ढ उसे पाओगे?
चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?

नहीं कुछ ख़ास नहीं- 
मेरी चोरी के राज़ है इसमें,
दिल क्यों तोडा उसका,
ये बात है  इसमें,
आंसू गर भर आये आँखों में उसकी,
बैठा के उसे पढ़ सुनाओगे ?
चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ? 

एक छोटा सा काम और है - कर आओगे ?
मेरे पास कोई नहीं तस्वीर उसकी,
धुंधली सी है अब बस लकीर उसकी
ड्राइंग रूम में एक एल्बम टेबल पे पड़ा होगा,
तस्वीर एक निकाल लाओगे ?
ये चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?


सच लिखा है डर लगता है,
बोझिल हर एक पहर लगता है,

मिलना मुश्किल है,
लेकिन जवाब लिखा अगर, 
तो क्या जल्दी वापस आ जाओगे ?
ये चिठ्ठी मेरी पहुँचाओगे ?

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Bhai address de de... i will try my best....

Naimitya Sharma ने कहा…

:) bhiya atul, address lene tumko dilli aana padega !!

बेनामी ने कहा…
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