11 अप्रैल 2012

हवा, गिलहरी, चिड़िया...


वो हवा जो बह रही थी, अन्दर एकांत को सह रही थी,
कुछ चिड़ियों की आवाजों ने साथ दिया,
तो झुका उसका मस्तक ऊपर उठा.

कानो में रस घुला कुछ और चहचहाअटों का,
उसने बोगनविला के फूलों-काँटों-पत्तियों को डाली के झूले पर झूमता देखा,
बेरंग चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आई,
वहीं पास एक चिड़िया ने लम्बी तान लगाई !
फुदकती गिलहरी उसे देख शरमाई...
दो कदम पीछे हट, फिर मुड के, घबराई,
छोटी सी मुस्कान और बड़ी हो गई,
गिलहरी बेंच के नीचे खो गई!

हलके गुलाबी, ताज़े हरे रंग से सराबोर बोगनविला की डाली स्थिर होने लगी,
गिलहरी दाना ढूँढती गौरैया को टोहने लगी,
गौरैया ने एक फर्लांग लगाई,
और मस्ती में गिलहारी की पीठ पे की चढाई,
दोनों खेलते हुए उसके बिलकुल पास आ गए...
गोरैया के दाने पडोसी खा गए!

भीनी सी पुरवाई ने कुछ आवाज़े उपजाई,
गोरैया और गिलहरी के मन में सावधानी जगाई,
उसके मस्तक पे ठंडी हवा के झोके ने जादू की छड़ी घुमाई,
आशा ने नई सुबह में ली एक अंगड़ाई,
सपनो के आकार में, सोच लेने लगी लम्बाई,
गौरैया तब तक पांच हो गई...
गिलहरी अबके झाड़ियों में खो गई!

मैना की तान में कोयल की कूक का समागम हुआ..
जस्बे का, लहू में उसके आगमन हुआ.
कहाँ तब वो अकेला, उदास बैठा था.
कहाँ अब मस्ती में दोस्तों के झुण्ड के साथ, चेतन खड़ा था.




5 टिप्‍पणियां:

jagmohan singh ने कहा…

Mind blowing man. keep writing like. Enjoying like anything. Remembering those days when we use to learn hindi and comparing it today with ur writings. hope to read more from u.

Deepak ने कहा…

Good One , Your Gilhari is missing Polu !!

Naimitya Sharma ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Naimitya Sharma ने कहा…

Thank you Jagmohan !

Naimitya Sharma ने कहा…

Thank you Bhaiya...the gilhari must be certainly missing polu's antics...!