23 मई 2017

बम्बई




बम्बई ! कितना पसीना बहाता है बारिश के इंतज़ार में 
फिर गुनगुने पानी की फुहार में भीगता है 
कारों से, चॉलो से, बंगलों से, फ्लैटों से, तंग गलियों से 
फिर बाहर निकलता है 
शहर  एक मत, मरीन ड्राइव तक पहुँचता है 
गिरते पानी को गले लगाने!

बम्बई ! भीगे कपड़ों में छूने जाता है गेट-वे को 
फिर आसपास कॉब्लड गलियों में टहलता है 
शहतूत का रस पीता है 
लियोपोल्ड और जनता में बियर गटकता है

भीगा बम्बई ढूंढ़ता है जुहू चौपाटी को 
एक चना जोर गरम में भुख मिटा लेता है 
क्योंकि घर दूर है
और तफरी की प्यास बुझी नहीं अभी!

रात गिरती जाती है, बम्बई जागता जाता है 
आज पहली बारिश हुई है 
बम्बई आज रोज से ज्यादा बेपरवाह है!

10 टिप्‍पणियां:

Dr. Deepak Bhaskar ने कहा…

Woow

Unknown ने कहा…

Superb!!!!

Dr. Deepak Bhaskar ने कहा…

Mujhe nahee pata tha ki mera dost mein ek kavi bhi hai

Unknown ने कहा…

Accha ehsaas hai

Unknown ने कहा…

Nice lines

Shrimant Jainendra ने कहा…

बारिश के लिए तरसता है मुम्बई / तरसता है एक शहर

Shrimant Jainendra ने कहा…

मुझे भी पहली बार पता चला कि आप ये हुनर भी रखते हैं । शुभकामनाएं।

Unknown ने कहा…

Shandaar 👌👌👌👌

बेनामी ने कहा…

वाह

बेनामी ने कहा…

🙌👏