2 नवंबर 2009

वो लड़की.

दरख्तों के झुरमुट से बिखरती सूर्य की किरण सी
किसी थकी सी भीड़ में अलग खड़ी, उर्जा से भरी -
वो लड़की.

कभी नदी के किनारे पड़ी रेत सी स्थिर
तो कभी नदी की धार में बहती चंचल पत्ती सी -
वो लड़की.

कभी समुद्र की राह रोके पड़ी किनारे की चट्टान
तो कभी लहरों सी बेरोकटोक उमड़ती
वो लड़की.

कभी बारिश की पहली बूंदों से उठी सोंधी खुशबू
तो कभी कड़क धूप में धरती में पड़ी दरारों सी
वो लड़की.

कभी घने कोहरे में सामने खड़ी, अबूझ
तो कभी खुली किताब सी
वो लड़की.

1 टिप्पणी:

Nitu ने कहा…

kya baat hai ...kaun hai wo ladki? hume bhi batao...kavya main itni sunder hai hakeekat main kya hogi??