16 जनवरी 2010

कल आज और कल !

जो बीत गया कल,
जो आने वाला है कल,
हम लोग सोचते रहते हैं उसके बारे में,
पढ़े-लिखे, पढ़-लिख रहे लोग.
हमे बीते कल और आने वाले कल में
लय कायम रखना है.
पढना है, सीखना हैं, काम करना है, नाम करना है.
आज के समय की कड़ी से बांधना है
बीते कल की सीख को, याद को, मजे को-
आने वाले कल की आशा से, जीवन से, जीने से, सम्भावना से !

वहीँ दूसरी ओर कुछ लोग हैं
जिनका बीता कल और आने वाला कल,
एक दम एक जैसा है.
वैसा, जैसा उनका आज है.
बीते कल की याद और सीख ये है कि
'गेती चलाऊंगा तो रोटी मिलेगी.'
आने वाले कल की आशा भी यही.
आज की हकीकत भी यही !

रात में हम पढ़े-लिखे
आशा, याद और संवाद से मन बहलाते हैं
ज्यादातर हम, बिस्तर पर पड़े घंटो बाद, मुश्किल से सो पाते है.
और कुछ लोग आज की हकीकत को भोग,
कल और कल की क्रूर सचाई से निर्भय,
थके-भाले, झट से गहरी नींद में खो जाते हैं.

हमारी आशा से उनकी हकीकत ज्यादा मीठी है शायद !

3 टिप्‍पणियां:

Pankti ने कहा…

Its not often that I am out of words to express....i guess "touched" is the word today!

Shivdev Singh ने कहा…

pankti is right..."touched" is the word for this wonderful writing..keep it up brother !

Naimitya Sharma ने कहा…

@Pankti and @shiv : :)