संजा खिली है,
रंगों की खेंप आयी है सूरज की दूकान में !
एक रंग रह गया है लेकिन.
वो वाला जो बनता था तेरे चेहरे पे-
संजा के रंग बिखरने से !
हंसी से तुम्हारी, वो रंग थिरकता था,
तेरे गालो और होटों पे -
मीता ! हंस दे तो पूरी खिले संजा !
मीता -3
मीता - 2
मीता !
1 टिप्पणी:
wah wah wah ...kyaa baat hai....beautiful yaar :)
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