24 अक्तूबर 2009

सूरज सा प्यार

सूरज घंटो, दिनो भी अगर बादलो में छुप जाए,
तो उसका साथ नही छूटता उसकी रश्मीयों से।
हम देख नही पाते उसे ,
लेकिन वो यूँ ही,
उतने ही तेज के साथ उपस्थित रहता है।

प्यार भी घंटो, दिनो या महीनो खो जाए अगर
अपेक्षा, अविश्वास के बादलो मे,
तो गायब नही होता।
वो बना रहता है ,
दिखाई नही देता साफ साफ,
पर झलकता रहता है -
हरकतों, लहजो और चुप्पियों में !

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